
सा़वन के महीनें में बहुतों को खुली धूप में आकाश में बदरी के उठने, फूर्ती के साथ छा जाने और फिर छमाछम बूंदे गिरने का नज़ारा बड़ा दिलक्श लगता हो लेकिन देश में एक बड़ी आबादी के लिए यह महीना अभिशाप की तरह है.
जब सावन की बौछार बाढ़ का रूप धारण करती है तो विशेष कर उत्तर भारत की बड़ी आबादी को घर उजड़ने से लेकर विस्थापन की एक लम्बी त्रास्दी का सामना करना पड़ता है.
इस समय इसी त्रासदी से कोसी नदी के नए और पुराने धाराओं के आस पास बसे लोगो का सामना हो रहा है. बिहार के तीन ज़िले अररिया, सुपौल और सहरसा के 20 लाख से ज़्यादा लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं.
कोसी नदी के उग्र होने से गॉव के गॉव बह गऐ हैं. साप और बिच्छू घर बाहर फैले हुए हैं. जीवन सावन की ठिठोली में भी नरक हना हुआ है. सच है कि तातकालिक त्रास्दी का कारण कोसी नदी का धारा परिवर्तन है लेकिन इस तरह की त्रासदी से उत्तर भारत कि बङी आबादी को हर बरस रुबरु होना पड़ता है. पिछले वर्ष भी उन्हे इसी तरह की त्रासदी से जूझना पड़ता था और सेंकड़ो लोगो को जान गवानी पड़ी थी.
लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या कारण हैं कि भारत में लोगे को प्रत्यक वर्ष ऐसी जानलेवा बाढ़ से जूझना पङता है. जबकि देश के एक बङे भाग में पानी की कमी के कारण सूखा पङना भी आम बात है.
जानकार बताते हैं कि गंदी राजनीति और राष्टीय नीति के अभाव के कारण परियोजनाओं के सवरुप तय करने और उसके क्रियानवयन में दिक्कते आती हैं और इस तरह जनता की परेशानी का निदान नही हो पाता है.
धीमी धीमी पुरवैया जब चलती हैं काले काले बादलों से आकाश घिरने लगता है. फिर बूंदे शैने शैने रिमझिम रिमझिम धारासार का रुप ले लेती हैं आप का हमारा दिल अमराइयो के झुरमुठ पर झुले बांधने को कहता है लेकिन उस पार त्रासदी की एक आपार गाथा है. और शायद यही सच्चाई भी है.
जब सावन की बौछार बाढ़ का रूप धारण करती है तो विशेष कर उत्तर भारत की बड़ी आबादी को घर उजड़ने से लेकर विस्थापन की एक लम्बी त्रास्दी का सामना करना पड़ता है.
इस समय इसी त्रासदी से कोसी नदी के नए और पुराने धाराओं के आस पास बसे लोगो का सामना हो रहा है. बिहार के तीन ज़िले अररिया, सुपौल और सहरसा के 20 लाख से ज़्यादा लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं.
कोसी नदी के उग्र होने से गॉव के गॉव बह गऐ हैं. साप और बिच्छू घर बाहर फैले हुए हैं. जीवन सावन की ठिठोली में भी नरक हना हुआ है. सच है कि तातकालिक त्रास्दी का कारण कोसी नदी का धारा परिवर्तन है लेकिन इस तरह की त्रासदी से उत्तर भारत कि बङी आबादी को हर बरस रुबरु होना पड़ता है. पिछले वर्ष भी उन्हे इसी तरह की त्रासदी से जूझना पड़ता था और सेंकड़ो लोगो को जान गवानी पड़ी थी.
लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या कारण हैं कि भारत में लोगे को प्रत्यक वर्ष ऐसी जानलेवा बाढ़ से जूझना पङता है. जबकि देश के एक बङे भाग में पानी की कमी के कारण सूखा पङना भी आम बात है.
जानकार बताते हैं कि गंदी राजनीति और राष्टीय नीति के अभाव के कारण परियोजनाओं के सवरुप तय करने और उसके क्रियानवयन में दिक्कते आती हैं और इस तरह जनता की परेशानी का निदान नही हो पाता है.
धीमी धीमी पुरवैया जब चलती हैं काले काले बादलों से आकाश घिरने लगता है. फिर बूंदे शैने शैने रिमझिम रिमझिम धारासार का रुप ले लेती हैं आप का हमारा दिल अमराइयो के झुरमुठ पर झुले बांधने को कहता है लेकिन उस पार त्रासदी की एक आपार गाथा है. और शायद यही सच्चाई भी है.
7 comments:
blog ki dunia mein aapka swagat hai...ab aap bhi manoj bhajpayee ke category mein aa gaye....
khaak Taskeen jaan e jaar karein
ab wasiat kaein ki payaar karein...
Accha lga ki aap apne blog ki sruat apne rajaya ki trasdi wale khabar se hi ki hai...
Azad Hindustani, Yun to ek duble patle ladke ka naam hai par is ke andar itni gahrai hai mujhe aaj pata chala. Flood ki halat se hum bhi kabhi preshan hote hain. ye rachna bahut acchi hai aur dil ko choo lene wali bhi.
mubaraka.racna creative hai aur avashya sarahniye hai. Ek taraf barh aur doosri taraf sukha aur usper yojnaon ki rajniti wali line kafi important hai. yeh kai parashn khra karta hai.
भाई,शुभकामनाएं... इसी तरह धारदार लिखते रहिये। आपका लेखन और कार्य आपके नाम के अनुसार हो यानि वाहिद(अद्वितीय) ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है... आग जलाए रखियेगा।
डा.रूपेश श्रीवास्तव"भड़ास"
good. Keep it up! Write one post everday!! Best
kahani puarni nahi hai har saal bihar walon aur desh ko trasdi me dal deti hai.musibat hai badh purani hai
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